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Friday, November 19, 2010

ग़ज़ल


कर दिया ख़ुद से भी जुदा कैसे I
जिस्म दीवार बन गया कैसे I

मुंजमिद होंठ आँख पत्थर सी ,
कल हुआ था विसाल-सा कैसे I
(मुंजमिद - जमे हुए; विसाल-सा - मिलन)

जाने क्या लफ्ज़े-अलविदा में था,
जाते-जाते वो रुक गया कैसे I

मर रहा हूँ तलाशे-हस्ती में,
हो रहा है ये हादिसा कैसे I
(तलाशे-हस्ती - जीवन कि तलाश)

भीड़ में बात हो गयी उनसे,
शोर भी काम आ गया कैसे I

नोंच कर पर 'नरेश' तुम ख़ुश थे,
फिर भी देखो वो उड़ गया कैसे I
(पर - पंख)

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