Dr. Naresh
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Tuesday, July 16, 2013
वो एक रूप समाया रहा जो आँखों में,
वो एक फाँस जो अटकी रही कलेजे में।
वो इक सवाल कि जिसका जवाब नामालूम,
उसी सवाल से उलझी रही मेरी आँखें।
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