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Wednesday, December 29, 2010

ग़ज़ल


मैं भला हूँ या बुरा इन्सान हूँ I

आपके इस दौर की पहचान हूँ I


मुझको दीवारों पे चस्पाँ कीजिए,

मैं किसी के इश्क़ का ऐलान हूँ I


तू मेरी भूली हुई पहचान है,

मैं तेरा टूटा हुआ पैमान हूँ I

(पैमान - वादा)


क्या सबुक-साराने-साहिल को ख़बर,

मैं कभी कश्ती कभी तूफ़ान हूँ I

(सबुक-साराने-साहि - किनारे के असम्बद्ध लोग)


वो अगर तौबा है रिन्दों की 'नरेश',

मैं जनाबे शैख़ का ईमान हूँ I

Wednesday, December 22, 2010

ग़ज़ल

सब्र से काम लेना सीख लिया I

हमने आराम लेना सीख लिया I


हमने गुस्ताख़ होके उनके हुज़ूर,

ख़ुद पे इल्ज़ाम लेना सीख लिया I


कुफ़्रो-ईमाँ से हमको क्या मतलब,

आपका नाम लेना सीख लिया I

(कुफ़्रो-ईमाँ - धर्म - अधर्म)


हमने उल्फ़त में उनके हाथों से,

ज़हर का जाम लेना सीख लिया I


शुक्र कर तुने रंज सहके 'नरेश',

अक्ल से काम लेना सीख लिया I

Friday, December 10, 2010

ग़ज़ल


सब्र से काम लेना सीख लिया I
हमने आराम लेना सीख लिया I

हमने गुस्ताख़ होके उनके हुज़ूर,
ख़ुद पे इलज़ाम लेना सीख लिया I

कुफ़्रो-ईमां से हमको क्या मतलब,
आपका नाम लेना सीख लिया I

हमने उल्फ़त में उनके हाथों से,
ज़हर का जाम लेना सीख लिया I

शुक्र कर तुने रंज सहके 'नरेश',
अक्ल से काम लेना सीख लिया I