Dr. Naresh
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Monday, January 23, 2012
वसीयत
मेरे शव को
इत्रों से मत नहलाना
I
मत चन्दन का कफ़न
भूलकर ओढ़ाना
I
मत पुष्पों की माला
मुझको पहनाना
I
ईंधन-वींधन सब बातें बेकार रहेंगी,
मदफन-कब्रें कोरा लोकाचार रहेंगी
I
बस मुझको
भूखे गीधों में रख देना
एक जून ताकि उनको भोजन मिल जाये
I
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