मैं जब ख़ुदा के घर से चला था
तो उसने मुझे एक पैग़ाम दिया था
वो पैग़ाम तुम्ही लोगों के लिए दिया था
लेकिन तुमने
बिना सुने ही
मुझ पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया
तुम इतना चीख़े-चिल्लाए बिला-सबब कि
मैं कुछ कहता भी तो तुम क्या सुन सकते थे।
अब मैं सोच रहा हूँ
वापस जाऊँ तो कौन-सा मुहँ लेकर जाऊँ
ख़ुदा कहेगा
मेरा पैग़ाम दिया क्यों नहीं।
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