Search This Blog

Saturday, January 4, 2014

दो और दो चार


मैं मरना चाहता था 
लेकिन 
कल मैं इसलिए नहीं मर सका 
कि मेरे माँ-बाप ये सदमा कैसे बर्दाश्त करेंगे। 

आज मैं इसलिए नहीं मरता हूँ 
कि मेरे मरने के बाद 
मेरे बच्चों का क्या होगा 

और 
कल मैं इसलिए नहीं मारूँगा 
क्योंकि मैं जीना चाहूँगा 

लेकिन 
जब मौत चाहने पर मौत नहीं मिली 
तो ज़िन्दगी चाहने पर 
ज़िन्दगी कौन देगा?  

Thursday, January 2, 2014

सदा

बादलों के झुरमुट से
किसने दी सदा मुझको
और उफ़ुक़ पे कौन ऐ दोस्त
मेरा नाम लेता है?

मैं हर एक रिश्ते को
यास का कफ़न देकर
मुद्दतें हुईं जबकि
दूर जंगलों में कहीं
दफ़्न कर चुका हूँ
अब
किसने दी सदा मुझको?
किसने दी सदा मुझको?