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Thursday, August 5, 2010

रैन बसेरा

बाबा ने पूछा
ये घर किस का है बेटा
मैंने कहा मेरा है बाबा
कहने लगा यही कहते थे
तेरे अब्बा तेरे दादा
तेरे दादा के अब्बा, उनके अब्बा के अब्बा
तेरे बेटे पोते भी तो यही कहेंगे
लेकिन तुम से पहले जिन की मिलकीयत थी
वो अब मिलकीयत का दावा क्यों नहीं करते
लब उनके ख़ामोश हैं क्योंकर
घर जब उनका था तो उनका हक़ -ए -सकूनत
किसी क़ब्र की किसी लहद तक क्यों सिमटा है

बाबा कह कर चला गया तो
मैंने घर के दरवाज़े पर लिक्खा
‘रैनबसेरा’

लेकिन कॉलेज से आते ही
मेरे बेटे ने रूमाल से
मेरा लिक्खा साफ़ कर दिया।

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